रोज़ 30 मिनट का व्यायाम आपकी ज़िंदगी बदल सकता है।
नियमित व्यायाम से हृदय की धमनियां साफ रहती हैं, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
व्यायाम करने से कैलोरी बर्न होती है, लेकिन इससे भी बड़ी बात - आपका मेटाबॉलिज्म तेज़ होता है। यानी आप आराम करते हुए भी कैलोरी बर्न करते रहेंगे।मानसिक स्वास्थ्य पर भी गज़ब का असर पड़ता है। व्यायाम से एंडोर्फिन्स नाम के हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं, जिन्हें "हैप्पी हॉर्मोन्स" कहा जाता है। इसलिए आप थके होने के बावजूद व्यायाम के बाद ख़ुश महसूस करते हैं। तनाव, चिंता और डिप्रेशन से लड़ने में मदद मिलती है।
हड्डियों और मांसपेशियों के लिए तो व्यायाम वरदान है। खासकर 30+ उम्र के बाद, जब शरीर धीरे-धीरे मांसपेशियों को खोने लगता है। नियमित व्यायाम से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। व्यायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। फ्लू और सामान्य संक्रमण से बचाव होता है।
शुरुआती लोगों के लिए सरल व्यायाम विकल्प।
अगर आप पहली बार व्यायाम शुरू कर रहे हैं, तो जिम में भारी-भरकम वेट उठाने की ज़रूरत नहीं है। शुरुआत में सिम्पल रखना ही बेहतर है। पैदल चलना सबसे आसान और प्रभावी व्यायाम है। रोज 20-30 मिनट तेज़ कदमों से चलना शुरू करें। फोन पर गाने लगाएं और चल दीजिए।
योग एक और बेहतरीन विकल्प है। श्वास पर ध्यान देते हुए सरल आसन शुरू करें। सूर्य नमस्कार जैसे आसन पूरे शरीर का व्यायाम करते हैं। यूट्यूब पर कई वीडियो मिल जाएंगे, देखकर शिख सकते है।
योग एक और बेहतरीन विकल्प है। श्वास पर ध्यान देते हुए सरल आसन शुरू करें। सूर्य नमस्कार जैसे आसन पूरे शरीर का व्यायाम करते हैं। यूट्यूब पर कई वीडियो मिल जाएंगे, देखकर शिख सकते है।
साइकिलिंग और तैराकी भी मज़ेदार विकल्प हैं। ये जोड़ों पर कम दबाव डालते हैं, इसलिए वज़न ज्यादा होने पर भी आरामदायक होते हैं।
घर में ही बॉडीवेट एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। पुश-अप, स्क्वाट्स, लंजेस और प्लैंक से शुरुआत करें। ये एक्सरसाइज़ बिना किसी उपकरण के किए जा सकते हैं। याद रखें, शुरुआत में हफ्ते में 2-3 दिन, 20-30 मिनट का व्यायाम पर्याप्त है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं। सबसे महत्वपूर्ण है नियमितता!
अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो प्रकार के व्यायाम जरूरी हैं - कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग। दोनों अलग-अलग फायदे देते हैं, और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
कार्डियो व्यायाम (जैसे दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना) दिल और फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं। इनसे धमनियां लचीली रहती हैं, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। कार्डियो से कैलोरी भी खूब बर्न होती है, इसलिए वज़न घटाने में मदद मिलती है।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (वेट लिफ्टिंग, रेजिस्टेंस बैंड, बॉडीवेट एक्सरसाइज़) मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। लेकिन फायदे सिर्फ मांसपेशियों तक सीमित नहीं हैं। मजबूत मांसपेशियां मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती हैं, यानी आप आराम करते समय भी अधिक कैलोरी बर्न करेंगे। हड्डियां भी मजबूत होती हैं, जिससे बुढ़ापे में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।
संतुलित रूटीन के लिए हफ्ते में 3-4 दिन कार्डियो और 2-3 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का लक्ष्य रखें। एक दिन आराम करना भी जरूरी है, ताकि शरीर को रिकवरी का समय मिले। आम गलती है सिर्फ एक प्रकार के व्यायाम पर निर्भर रहना। कई लोग सिर्फ कार्डियो करते हैं और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से बचते हैं, खासकर महिलाएं। लेकिन डरिए मत, वेट लिफ्टिंग से आप पहलवान जैसे नहीं दिखेंगे - ये मिथ है!
घर में ही बॉडीवेट एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। पुश-अप, स्क्वाट्स, लंजेस और प्लैंक से शुरुआत करें। ये एक्सरसाइज़ बिना किसी उपकरण के किए जा सकते हैं। याद रखें, शुरुआत में हफ्ते में 2-3 दिन, 20-30 मिनट का व्यायाम पर्याप्त है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं। सबसे महत्वपूर्ण है नियमितता!
कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का महत्व।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो प्रकार के व्यायाम जरूरी हैं - कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग। दोनों अलग-अलग फायदे देते हैं, और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
कार्डियो व्यायाम (जैसे दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना) दिल और फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं। इनसे धमनियां लचीली रहती हैं, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। कार्डियो से कैलोरी भी खूब बर्न होती है, इसलिए वज़न घटाने में मदद मिलती है।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (वेट लिफ्टिंग, रेजिस्टेंस बैंड, बॉडीवेट एक्सरसाइज़) मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। लेकिन फायदे सिर्फ मांसपेशियों तक सीमित नहीं हैं। मजबूत मांसपेशियां मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती हैं, यानी आप आराम करते समय भी अधिक कैलोरी बर्न करेंगे। हड्डियां भी मजबूत होती हैं, जिससे बुढ़ापे में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।
संतुलित रूटीन के लिए हफ्ते में 3-4 दिन कार्डियो और 2-3 दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का लक्ष्य रखें। एक दिन आराम करना भी जरूरी है, ताकि शरीर को रिकवरी का समय मिले। आम गलती है सिर्फ एक प्रकार के व्यायाम पर निर्भर रहना। कई लोग सिर्फ कार्डियो करते हैं और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से बचते हैं, खासकर महिलाएं। लेकिन डरिए मत, वेट लिफ्टिंग से आप पहलवान जैसे नहीं दिखेंगे - ये मिथ है!
निष्कर्ष।
याद रखें, व्यायाम का मकसद है बेहतर जीवन जीना। नियमित और संतुलित व्यायाम से आप न सिर्फ लंबे समय तक जीएंगे, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।